तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़साने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली बादाख़ाने की
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़्साने कहाँ जाते
चलो अच्छा हुआ, काम आ गई दीवानगी अपनी
चलो अच्छा हुआ, काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़साने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते