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Chitra Singh - Tumhari Anjuman Se Uth Ke Deewane Kahan Jate Lyrics



Chitra Singh - Tumhari Anjuman Se Uth Ke Deewane Kahan Jate Lyrics
Official




तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़साने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते

तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली बादाख़ाने की
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़्साने कहाँ जाते

चलो अच्छा हुआ, काम आ गई दीवानगी अपनी
चलो अच्छा हुआ, काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़साने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
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तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़साने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते

तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली बादाख़ाने की
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़्साने कहाँ जाते

चलो अच्छा हुआ, काम आ गई दीवानगी अपनी
चलो अच्छा हुआ, काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़साने कहाँ जाते
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
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Writer: Qateel Shifai, Jagjit Singh
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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