[ Featuring Varun Grover, Yazin Nizar ]
चिट्ठी हैं या कोई दिल हैं ये
लफ्ज़ो में धड़के हैं क्यूँ सिया ये
चिट्ठी नहीं ये बादल हैं ये
लिपटी हैं मुझसे ये अस्मा से
इन छोटे से पन्नो में
मेरी सारी कमाई हैं
उड़ता हु कागज के कतरो सा
जब से हाँ तू आयी हैं
भरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाये चले आना
भरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाये चले आना
बातों में बातें है उलझी हुयी
पढ़ के में सुलझा जा रहा
शब्दो से जोड़ा हैं चेहरा तेरा
चहरे में घुलता जा रहा हूँ
तुझे लिए हाथों में
चला जा रहा हूँ में
गिनता हूँ तारो को फूलो को
खत में जो चलके आये हैं
भरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाये चले आना
भरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाये चले आना.