ढल रही है शामे ओर बदल रही फ़िज़ायें
बदल रहे है मौसम और बदल रही हवायें
खो गये है हम कहा ये गुम सी हा वो रहे
या ओस की बूंदे ओर नाम सी हवायें
खो गया हू मैं इन हवाओं मैं
गुम गया हूँ मैं इन घटाओ मैं
सुने से ये रास्ते ओर सुनी है या बाहें
सुने से ये रास्ते ओर सुनी है या बाहें
पल्को को चूमती ये सर्द सी हवायें धीरे धीरे
खो गया हू मैं इन हवाओं मैं
गुम गया हूँ मैं इन घटाओ मैं
दिल ये ठहरा हुआ है मन बेपरवाह हुआ है
खुशी के पल ढूँढता फिर रहा हू मे
इन सुनी सी राहों मे
खो गया हू मैं इन हवाओं मैं
खो गया हू मैं इन हवाओं मैं