आया खाली हाथ, अब सब कुछ मेरे नाम,
जिस राह पे चला, बना दी अपनी धाम।
खुद की मेहनत से सींचा, हर एक ख्वाब को,
सपनों की उड़ान में, ना डरा कभी आँधी रोको।
मैं खुद बना, ये खुद की राह,
मेरी जंग, मेरी चाह।
हाथों की लकीरों से ज्यादा,
मेरी मेहनत बोले आज।
रुका नहीं, झुका नहीं, जब भी आई मुश्किलें,
आगे बढ़ता गया, तोड़ दीं सारी जंजीरें।
अकेला चला, पर निशान छोड़ गया,
हर कदम पे आज भी, मेरी कहानी बोले बिना।
मैं खुद बना, ये खुद की राह,
मेरी जंग, मेरी चाह।
हाथों की लकीरों से ज्यादा,
मेरी मेहनत बोले आज।
रुका नहीं, झुका नहीं, जब भी आई मुश्किलें,
आगे बढ़ता गया, तोड़ दीं सारी जंजीरें।
अकेला चला, पर निशान छोड़ गया,
हर कदम पे आज भी, मेरी कहानी बोले बिना।
मैं खुद बना, ये खुद की राह,
मेरी जंग, मेरी चाह।
हाथों की लकीरों से ज्यादा,
मेरी मेहनत बोले आज।