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Suresh Wadkar - Saanj Dhale Gagan Tale Hum Kitane Ekaki [Arrived Version] Lyrics



Suresh Wadkar - Saanj Dhale Gagan Tale Hum Kitane Ekaki [Arrived Version] Lyrics
Official




[ Featuring ]

साँझ ढले गगन तले...
साँझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी
छोड़ चले नैनों को किरणों के पाखी
साँझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी

पाती की जाली से झाँक रही थी कलियाँ
पाती की जाली से झाँक रही थी कलियाँ
गंध भरी गुनगुन में मगन हुई थी कलियाँ
इतने में तिमिर धसा सपनीले नैनों में
कलियों के आँसू का कोई नहीं साथी
छोड़ चले नैनों को किरणों के पाखी

जुगनू का पट ओढ़े आएगी रात अभी
जुगनू का पट ओढ़े आएगी रात अभी
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कँपता है मन जैसे डाली अंबुआ की
छोड़ चले नैनों को किरणों के पाखी
साँझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी
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साँझ ढले गगन तले...
साँझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी
छोड़ चले नैनों को किरणों के पाखी
साँझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी

पाती की जाली से झाँक रही थी कलियाँ
पाती की जाली से झाँक रही थी कलियाँ
गंध भरी गुनगुन में मगन हुई थी कलियाँ
इतने में तिमिर धसा सपनीले नैनों में
कलियों के आँसू का कोई नहीं साथी
छोड़ चले नैनों को किरणों के पाखी

जुगनू का पट ओढ़े आएगी रात अभी
जुगनू का पट ओढ़े आएगी रात अभी
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कँपता है मन जैसे डाली अंबुआ की
छोड़ चले नैनों को किरणों के पाखी
साँझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी
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Writer: LAXMIKANT KUDALKAR, PYARELAL SHARMA, VASANT DEV
Copyright: Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC




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