सांझ ढले गगन तले
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
छोड़ चले नैनों को
किरणों के पाँखि
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
पाती की जाली से झाँख रही थी कलियाँ
पाती की जाली से झाँख रही थी कलियाँ
गंध भरी गुनगुन में मगन हुई थी कलियाँ
इतने में तिमिर धंसा सपनीले नैनों में
कलियों के आंसू का कोई नहीं साथी
छोड़ चले नैनों को
किरणों के पाँखि
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
जुगनू का पथ ओढ़े आएगी रात अभी
जुगनू का पथ ओढ़े आएगी रात अभी
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कँपता है मन जैसे डाली अम्बआ की
छोड़ चले नैनों को
किरणों के पाँखि
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी