आते-जाते, हँसते-गाते
सोचा था मैंने मन में कई बार
वो पहली नज़र, हल्का सा असर
करता है क्यूँ इस दिल को बेक़रार?
रुक के चलना, चलके रुकना
ना जाने तुम्हें हैं किसका इंतज़ार
तेरा वो यक़ीन, कहीं मैं तो नहीं
लगता है यही क्यूँ मुझको बार-बार?
यही सच है, शायद मैंने प्यार किया
हाँ-हाँ, तुमसे मैंने प्यार किया
आते-जाते, हँसते-गाते
सोचा था मैंने मन में कई बार
होंठों की कली कुछ और खिली
ये दिल पे हुआ है किसका इख़्तियार?
तुम कौन हो? बतला तो दो
क्यूँ करने लगी मैं तुम पे ऐतबार?
खामोश रहूँ या मैं कह दूँ?
या कर लूँ मैं चुपके से ये स्वीकार?
यही सच है, शायद मैंने प्यार किया
हाँ-हाँ, तुमसे मैंने प्यार किया