[ Featuring Sonali Rathod ]
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आज़माऊँगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाऊँगी
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आजमाऊँगी
सुपुर्द करके उसे चांदनी के हाथों में
सुपुर्द करके उसे चांदनी के हाथों में
मैं अपने घर के अंधेरों को लौट आउंगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाऊँगी
अब उसका फन तो किसी और से हुआ मनसूब
अब उसका फन तो किसी और से हुआ मनसूब
मैं किसकी नज़म अकेले में गुनगुनाऊँगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाऊँगी
जवाज़ ढूंढ रहा था नई मोहब्बत को
जवाज़ ढूंढ रहा था नई मोहब्बत को
वो कह रहा था के मैं उसको भूल जाऊँगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाउंगी
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आजमाऊँगी
कमाले ज़ब्त को खुद भी तो आजमाऊँगी
मैं अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाउंगी
दुल्हन सजाउंगी, दुल्हन सजाउंगी