कुछ तुमने ना कहा है
कुछ हमने ना सुना
ये साँसें हवा में
कानों में कुछ बुना
ये लंबे हैं जो तेरे मेरे रास्ते
किस मोड़ पे खामोशी को उतार दें
ये उलझनें
ये आदतें
ये बेरूख़ी
शिकायतें
ये दूरियाँ
मजबूरियाँ
फ़िकरों की वो बोरियाँ
कहीं बहा चलें, कही बहा चलें
कहीं बहा चलें, कही बहा चलें
तकिये के नीचे हैं जो मेरी बातें
आना उनको चुराने रखी है संभाल के
के सासें मैं
सुन भी लूँ
तेरी आहत को
अर्ज़ी दूं
तारों को छेड़ दें
बातों को
बटोर लें
लम्हों की सिलवटें
बनें सिरहाने
कही बहा चलें, कही बहा चलें
कही बहा चलें, कही बहा चलें
कुछ तुमने ना कहा है
कुछ हमने ना सुना