ज्योत से ज्योत जलाते चलो
ज्योत से ज्योत जलाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आये जो दीन दुखी
राह में आये जो दीन दुखी
सब को गले से लगते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
कौन है ऊँचा कौन है नीचा
सब में वो ही समाया
भेद भाव के झूठे भरम में
ये मानव भरमाया
धरम ध्वजा आ धरम ध्वजा फहराते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
सारे जगत के कण कण में है
दिव्य अमर एक आत्मा