Back to Top

Rahul Pathak - Krishna Chalisa Lyrics



Rahul Pathak - Krishna Chalisa Lyrics
Official




[ Featuring Ravi Khanna, Pramod Singh ]

दोहा
बंशी शोभित कर मधुर
नील जल्द तनु श्यामल
अरुण अधर जनु बिम्बा फल
नयन कमल अभिराम
पुरनिंदु अरविंद मुख
पितांबर शुभा साज्ल
जय मनमोहन मदन छवि
कृष्णचंद्र महाराज

चौपाई
जय यदुनंदन जय जगवंदन
जय वासुदेव देवकी नंदन
जय यशोदा सुत नंद दुलारे
जय प्रभु भक्तन के रखवारे
जय नट नागर नाग नथैया
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो
आओ दीनन कष्ट निवारो
बंसी मधुर अधर धरी तेरी
होवे पूरन मनोरथ मेरी
आओ हरि पुनि माखन चाखो
आज लाज भक्तन की रखो
गोल कपोल चिबुक अरुनारे
मृदुल मुस्कान मोहनी डारे
रंजीत राजिव नयन विशाला
मोर मुकुट वैजयंती माला
कुंडल श्रवण पीतपट आछे
कटी किंकिनी काछन काछे
नील जलज सुंदर तनु सोहे
छवि लखी सुर नर मुनि मन मोहे
मस्तक तिलक अलक घुंघराले
आओ श्याम बांसुरी वाले
करि पी पान पुतनाहीं तारयो
अका बका कागा सुर मायरो
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला
भये शीतल, लखिताहीं नंदलाला
सुरपति जब ब्रिज चढयो रिसाई
मूसर धार बारिश बरसाई
लगत-लगत ब्रिज चाहं बहायो
गोवर्धन नखधारी बचायो
लखी यशोदा मन भ्रम अधिकाई
मुख महँ चौदह भुवन दिखाई
दुष्ट कन्स अति ऊधम मचायो
कोटि कमल कहाँ फूल मंगायो
नाथी कालियहिं तब तुम लीन्हें
चरणचिंह दै निर्भय किन्हें
करी गोपिन संग रास विलासा
सब की पूरण करी अभिलाषा
केतिक महा असुर संहारयो
कंसहि केश पकड़ी दी मारियो
माता-पिता की बंदी छुडाई
उग्रसेन कहाँ राज दिलाई
माही से मृतक छहों सूत लायो
मातु देवकी शोक मिटायो
भोमासुर मुर दैत्य संहारी
लाये शत्दश सहस कुमारी
दी भिन्हीं त्रिन्चीर संहारा
जरासिंधु राक्षस कहां मारा
असुर वृकासुर आदिक मारयो
भक्तन के तब कष्ट निवारियो
दीन सुदामा के दुःख तारयो
तंदुल तीन मुठी मुख डारयो
प्रेम के साग विदुर घर मांगे
दुर्योधन के मेवा त्यागे
लाखी प्रेम की महिमा भारी
नौमी श्याम दीनन हितकारी
मारथ के पार्थ रथ हांके
लिए चक्र कर नहीं बल थाके
निज गीता के ज्ञान सुनाये
भक्तन ह्रदय सुधा बरसाए
मीरा थी ऐसी मतवाली
विष पी गई बजाकर ताली
राणा भेजा सांप पिटारी
शालिग्राम बने बनवारी
निज माया तुम विधिहीन दिखायो
उतरे संशय सकल मिटायो
तव शत निंदा करी ततकाला
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला
जबहीं द्रौपदी टेर लगाई
दीनानाथ लाज अब जाई
अस अनाथ के नाथ कन्हैया
डूबत भंवर बचावत नैया
सुन्दर दास आस उर धारी
दयादृष्टि कीजे बनवारी
नाथ सकल मम कुमति निवारो
छमोबेग अपराध हमारो
खोलो पट अब दर्शन दीजे
बोलो कृष्ण कन्हैया की जय
दोहा
यह चालीसा कृष्ण का
पाठ करै उर धारी
अष्ट सिद्धि नव निद्धि फल
लहे पदार्थ चारी
[ Correct these Lyrics ]

[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


Romanized

दोहा
बंशी शोभित कर मधुर
नील जल्द तनु श्यामल
अरुण अधर जनु बिम्बा फल
नयन कमल अभिराम
पुरनिंदु अरविंद मुख
पितांबर शुभा साज्ल
जय मनमोहन मदन छवि
कृष्णचंद्र महाराज

चौपाई
जय यदुनंदन जय जगवंदन
जय वासुदेव देवकी नंदन
जय यशोदा सुत नंद दुलारे
जय प्रभु भक्तन के रखवारे
जय नट नागर नाग नथैया
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो
आओ दीनन कष्ट निवारो
बंसी मधुर अधर धरी तेरी
होवे पूरन मनोरथ मेरी
आओ हरि पुनि माखन चाखो
आज लाज भक्तन की रखो
गोल कपोल चिबुक अरुनारे
मृदुल मुस्कान मोहनी डारे
रंजीत राजिव नयन विशाला
मोर मुकुट वैजयंती माला
कुंडल श्रवण पीतपट आछे
कटी किंकिनी काछन काछे
नील जलज सुंदर तनु सोहे
छवि लखी सुर नर मुनि मन मोहे
मस्तक तिलक अलक घुंघराले
आओ श्याम बांसुरी वाले
करि पी पान पुतनाहीं तारयो
अका बका कागा सुर मायरो
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला
भये शीतल, लखिताहीं नंदलाला
सुरपति जब ब्रिज चढयो रिसाई
मूसर धार बारिश बरसाई
लगत-लगत ब्रिज चाहं बहायो
गोवर्धन नखधारी बचायो
लखी यशोदा मन भ्रम अधिकाई
मुख महँ चौदह भुवन दिखाई
दुष्ट कन्स अति ऊधम मचायो
कोटि कमल कहाँ फूल मंगायो
नाथी कालियहिं तब तुम लीन्हें
चरणचिंह दै निर्भय किन्हें
करी गोपिन संग रास विलासा
सब की पूरण करी अभिलाषा
केतिक महा असुर संहारयो
कंसहि केश पकड़ी दी मारियो
माता-पिता की बंदी छुडाई
उग्रसेन कहाँ राज दिलाई
माही से मृतक छहों सूत लायो
मातु देवकी शोक मिटायो
भोमासुर मुर दैत्य संहारी
लाये शत्दश सहस कुमारी
दी भिन्हीं त्रिन्चीर संहारा
जरासिंधु राक्षस कहां मारा
असुर वृकासुर आदिक मारयो
भक्तन के तब कष्ट निवारियो
दीन सुदामा के दुःख तारयो
तंदुल तीन मुठी मुख डारयो
प्रेम के साग विदुर घर मांगे
दुर्योधन के मेवा त्यागे
लाखी प्रेम की महिमा भारी
नौमी श्याम दीनन हितकारी
मारथ के पार्थ रथ हांके
लिए चक्र कर नहीं बल थाके
निज गीता के ज्ञान सुनाये
भक्तन ह्रदय सुधा बरसाए
मीरा थी ऐसी मतवाली
विष पी गई बजाकर ताली
राणा भेजा सांप पिटारी
शालिग्राम बने बनवारी
निज माया तुम विधिहीन दिखायो
उतरे संशय सकल मिटायो
तव शत निंदा करी ततकाला
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला
जबहीं द्रौपदी टेर लगाई
दीनानाथ लाज अब जाई
अस अनाथ के नाथ कन्हैया
डूबत भंवर बचावत नैया
सुन्दर दास आस उर धारी
दयादृष्टि कीजे बनवारी
नाथ सकल मम कुमति निवारो
छमोबेग अपराध हमारो
खोलो पट अब दर्शन दीजे
बोलो कृष्ण कन्हैया की जय
दोहा
यह चालीसा कृष्ण का
पाठ करै उर धारी
अष्ट सिद्धि नव निद्धि फल
लहे पदार्थ चारी
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Traditional
Copyright: Lyrics © Phonographic Digital Limited (PDL)

Back to: Rahul Pathak



Performed By: Rahul Pathak
Featuring: Ravi Khanna, Pramod Singh
Language: Hindi
Length: 4:50
Written by: Traditional
[Correct Info]
Tags:
No tags yet