कितने ज़ालिम हैं जो ये कहते हैं
कितने ज़ालिम हैं जो ये कहते हैं
तोड़ लो फूल, फूल तोड़ो मत
बाग़-बाग़म तो इस ख्याल के हैं
टहनियों का लहु निचोड़ो मत
छोड़ दो फूल, फूल तोड़ो मत
कितने ज़ालिम हैं जो ये कहते हैं
कितने ज़ालिम हैं जो ये कहते हैं
तोड़ लो फूल, फूल छोड़ो मत
बाग़-बाग़म तो इस ख्याल के हैं
टहनियों का लहु निचोड़ो मत
छोड़ दो फूल, फूल तोड़ो मत
है कला ही ये हुस्न फ़ितरत की
है कला ही ये हुस्न फ़ितरत की
ना छुओ इसको और मोड़ो मत
है कला ही ये हुस्न फ़ितरत की
ना छुओ इसको और मोड़ो मत
बाग़-बाग़म तो इस ख्याल के हैं
टहनियों का लहु निचोड़ो मत
छोड़ दो फूल, फूल तोड़ो मत
कितने ज़ालिम हैं जो ये कहते हैं
कितने ज़ालिम हैं जो ये कहते हैं
तोड़ दो फूल, फूल छोड़ो मत
बाग़-बाग़म तो इस ख्याल के हैं
टहनियों का लहु निचोड़ो मत
छोड़ दो फूल, फूल तोड़ो मत
छोड़ दो फूल, फूल तोड़ो मत
छोड़ दो फूल, फूल तोड़ो मत