कैसा है ये डर
एक जो हैं हम
मिल के रहें
प्यार से हम
दुनिया की
क्यूँ हो फ़िकर
साथ चलें मिलके
जो हम-तुम
हमसे भी पूछो कभी चाहते हैं क्या
खुद ही सुना के रहोगे कहानियाँ
वही पुरानी सुनी हुई दास्तां
इन सब बातों को दिल अब नहीं मानता
आओ मिलकर
जी लें ज़िंदगी
खुशियों के रंग हो
और हो हँसी
हर लम्हा
ना कोई हो फ़िकर
यूँ ही गुज़रे
अपनी शाम-ओ-शहर
हमसे भी पूछो कभी चाहते हैं क्या
खुद ही सुना के रहोगे कहानियाँ
वही पुरानी सुनी हुई दास्तां
इन सब बातों को दिल अब नहीं मानता
मिली ज़िदगी
जी लो अपनों के साथ में
क्यूँ लड़ें हम
दूसरों की बात पे
वो ओ ओ वो ओ ओ ए ए ए ए