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Shiv Rudra Ashtakam Video (MV)




Performed By: Pandit Ganeshwar Mishra
Length: 4:28
Written by: Traditional
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Pandit Ganeshwar Mishra - Shiv Rudra Ashtakam Lyrics




ॐ अथ श्री रुद्राष्टकम्

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् १

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं

गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्

करालं महाकाल कालं कृपालं

गुणागार संसारपारं नतोऽहम् २



तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं

मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम्

स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ३



चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं

प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ४



प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम्

त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ५



कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी

चिदानन्द संदोह मोहापहारी

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ६



न यावत् उमानाथ पादारविन्दं

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्

न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ७



न जानामि योगं जपं नैव पूजां

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्

जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ८



रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति

ॐ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम्
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ॐ अथ श्री रुद्राष्टकम्

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् १

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं

गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्

करालं महाकाल कालं कृपालं

गुणागार संसारपारं नतोऽहम् २



तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं

मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम्

स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ३



चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं

प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ४



प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम्

त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ५



कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी

चिदानन्द संदोह मोहापहारी

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ६



न यावत् उमानाथ पादारविन्दं

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्

न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ७



न जानामि योगं जपं नैव पूजां

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्

जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ८



रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति

ॐ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम्
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Writer: Traditional
Copyright: Lyrics © Phonographic Digital Limited (PDL)


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