रूबरू तू मगर तनहा है ये जहाँ हो
जल उठे मेरी कुफ़्र से साँसों का ये समां ओ
क्या हुआ पल में जाने खो गया क्यों
तू मिला और जुदा ईमान हुआ यूँ
बेखुदी में बेकली में बेकसी में हुआ
तुझको हर दुआ दी, और दगा हुआ और फना हुआ
कुर्बान हुआ हा हाँ
कुर्बान हुआ हा हाँ
अदा पे वफ़ा पे जफ़ा पे
कुर्बान हुआ हाँ आ
कुर्बान हुआ