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Nahid Akhtar - Tumse Ulfat Ke Taqaze Lyrics



Nahid Akhtar - Tumse Ulfat Ke Taqaze Lyrics
Official




तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

दिल के मारों का ना कर गम की यह आंडोल नाशीन
दिल के मारों का ना कर गम की यह आंडोल नाशीन
ज़ख़्म भी दिल में ना होता तो सराहे जाते
ज़ख़्म भी दिल में ना होता तो सराहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

कम निगही की हमें खुद भी कहाँ थी तौक़िद
कम निगही की हमें खुद भी कहाँ थी तौक़िद
कम निगही के लिए उज़र ना चाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

लज़्ज़त-ए-गार्ड से आंसूदा कहाँ दिल वाले
लज़्ज़त-ए-गार्ड से आंसूदा कहाँ दिल वाले
है फ़ाक़ात दर्द की हसरत की फराहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

दी ना मोहलत हमें हस्ती ने वफ़ा की वरना
दी ना मोहलत हमें हस्ती ने वफ़ा की वरना
और कुछ दिन गम-ए-हस्ती से निबाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
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तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

दिल के मारों का ना कर गम की यह आंडोल नाशीन
दिल के मारों का ना कर गम की यह आंडोल नाशीन
ज़ख़्म भी दिल में ना होता तो सराहे जाते
ज़ख़्म भी दिल में ना होता तो सराहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

कम निगही की हमें खुद भी कहाँ थी तौक़िद
कम निगही की हमें खुद भी कहाँ थी तौक़िद
कम निगही के लिए उज़र ना चाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

लज़्ज़त-ए-गार्ड से आंसूदा कहाँ दिल वाले
लज़्ज़त-ए-गार्ड से आंसूदा कहाँ दिल वाले
है फ़ाक़ात दर्द की हसरत की फराहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

दी ना मोहलत हमें हस्ती ने वफ़ा की वरना
दी ना मोहलत हमें हस्ती ने वफ़ा की वरना
और कुछ दिन गम-ए-हस्ती से निबाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
वरना हमको भी तमन्ना थी की चाहे जाते
तुमसे उलफत के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
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Writer: KAMAL AHMED, SHANUL HAQ HAQQI
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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