घर भी था थी दीवारे भी
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया
सुना मंदिर था मन मेरा
बुझा दीप था जीवन मेरा
सुना मंदिर था मन मेरा
बुझा दीप था जीवन मेरा
प्रतिमा के पावन चर्नो मे
मैं दीपक बनकर मुस्काया
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया
देवालय बन गया सुहावन
माँ तुमसे मेरा घर आँगन
देवालय बन गया सुहावन
माँ तुमसे मेरा घर आँगन
आँचल की ममता माया मे
पाई सुख की शीतल छाया
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया
कैसे हो गुणगान तुम्हारा
जो कुछ है वरदान तुम्हारा
कैसे हो गुणगान तुम्हारा
जो कुछ है वरदान तुम्हारा
तुमने ही मेरे जीवन के
सपनो को सच कर दिखलाया
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया
आँखे मेरी ज्योति तुम्हारी
रह ना गयी राहे अंधियारी
आँखे मेरी ज्योति तुम्हारी
रह ना गयी राहे अंधियारी
रहने दो मेरे माथे पेर मा
माँ तुमने जो हाथ बढ़ाया
तुम से ही घर घर कहलाया