ग़ज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया, ग़ज़ब किया
हँसा हँसा के शब-ए-वस्ल अश्क-बार किया
तसल्लियाँ मुझे दे दे के बे-क़रार किया
ग़ज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया, ग़ज़ब किया
हम ऐसे महव-ए-नज़ारा न थे जो होश आता आ आ
मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल ने होशियार किया
ग़ज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया हो, ग़ज़ब किया
फ़साना-ए-शब-ए-ग़म उन को एक कहानी थी
कुछ एतबार किया कुछ ना एतबार किया
ग़ज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया, ग़ज़ब किया