दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
खुद नाचती हैं, सबको नचाती हैं रोटियाँ
नचाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
बूढ़ा चलाए ठेले, को फाकों से झूल के
बच्चा उठाए बोझ, खिलौने को भूल के
बच्चा उठाए बोझ, खिलौने को भूल के
देखा ना जाए जो, देखा ना जाए जो
सो दिखाती हैं रोटियाँ, सो दिखाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
बैठी है ये जो चेहरे पे, मल के जिगर का खूं
दुनिया बुरा कहे इन्हे पर, मैं तो यह कहूँ
दुनिया बुरा कहे इन्हे पर, मैं तो यह कहूँ
कोठे पे बैठ ओ कोठे पे, बैठ आँख लड़ाती हैं रोटियाँ
लड़ाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
कहता था इक फकीर की, रखना ज़रा नज़र
रोटी को आदमी ही, नही खाते बेख़बर
रोटी को आदमी ही, नही खाते बेख़बर
अक्सर तो आदमी को, अक्सर तो आदमी को भी
खाती हैं रोटियाँ , खाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
तुझको पते की बात बताऊँ मैं जान-ए-मन
क्यू चाँद पर पहुँचने, की इंसा को है लगन
क्यू चाँद पर पहुँचने, की इंसा को है लगन
इंसा को चाँद मे, इंसा को चाँद मे
नज़र आती हैं रोटियाँ , नज़र आती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ
खुद नाचती हैं, सबको नचाती हैं रोटियाँ
नचाती हैं रोटियाँ
दीवाना आदमी को बनाती हैं रोटियाँ