बूंदे नही सितारे टपके है कहकशा से
बूंदे नही सितारे टपके है कहकशा से
सदके उतर रहे है तुम पर ये आस्मा से
बूंदे नही सितारे टपके है कहकशा से
मोती के रंग रुत के क़तरे दमक रहे है
या रेशमी लटो मे जुगनू चमक रहे है
आँचल मे जैसे बिजली कौंदे यहाँ वहाँ से
सदके उतर रहे है तुम पर ये आस्मा से
बूंदे नही सितारे टपके है कहकशा से
देखे तो कोई आलम भीगे से पैरहण का
पानी मे है ये शोला, या नूर है बदन का
अंगड़ाई ले रहे है, अरमा जवा जवा से
सदके उतर रहे है तुम पर ये आस्मा से
बूंदे नही सितारे टपके है कहकशा से
पहलू मे आके मेरे क्या चीज़ लग रही हो
बाहो के दायरे मे तस्वीर लग रही हो
हैरान हू के तुमको देखूं कहाँ कहाँ से
सदके उतर रहे है तुम पर ये आस्मा से
बूंदे नही सितारे टपके है कहकशा से
सदके उतर रहे है तुम पर ये आस्मा से
बूंदे नही सितारे टपके है कहकशा से