ऐसे तो न देखो, के हमको नशा हो जाए
ऐसे तो न देखो
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो
तुम हमें रोको फिर भी हम ना रुकें
तुम कहो काफ़िर फिर भी ऐसे झुकें
क़दम-ए-नाज़ पे इक सजदा अदा हो जाए
ऐसे तो न देखो, के हमको नशा हो जाए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो
यूँ न हो आँखे रहें काजल घोलें
बढ़ के बेखुदी हंसीं गेसू खोलें
खुल के फिर ज़ुल्फ़ें सियाह काली बला हो जाए
ऐसे तो न देखो, के हमको नशा हो जाए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो
हम तो मस्ती में जाने क्या क्या कहें
लब-ए-नाज़ुक से ऐसा न हो तुम्हें
बेक़रारी का गिला हम से सिवा हो जाए
ऐसे तो न देखो, के हमको नशा हो जाए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो