यू तो ज़िंदगी से
होती थी मुलाक़ातें
पहली बार की है
ज़िंदगी ने मुझसे बातें
अजनबी सा एहसास है
हर पल अब तो ख़ास है
तुम पर गये जो साथिया
साथिया
साथिया
साथिया
ख्वाहिशों में फिर से
बेताबियाँ जगी हैं
हंसते हंसते हैं आँखों में नमी
हसरतें भी मेरी करने लगी ठगी
पैरों के नीचे से निकली ज़मीन
अजनबी सा एहसास है
हरपाल अब तो ख़ास है
तुम बन गये जो
साथिया
साथिया
साथिया
साथिया
छेड़ दी हवाएँ कानो में कह रही
तुझको ऐसी खुश देखा ना कभी
दिल में यों सपनो की नदिया सी बह रही
जिसमे भीगे है अरमान सभी
अजनबी सा एहसास है
हरपाल अब तो ख़ास है
तुम बन गये जो साथिया
साथिया
साथिया
साथिया