और चिता पर जाये उंड़ेला पात्र न घ्रिट का, पर प्याला
खन्ट बंधे अंगूर लता में मध्य न जल हो, पर हाला
प्राण प्रीये
प्राण प्रीये यदि श्रार्ध करो तुम मेरा तो ऐसे करना
पीने वालों को बुलवा कर
पीने वालों को बुलवा कर, खुलवा देना मधुशाला
पीने वालों को बुलवा कर, खुलवा देना मधुशाला