सवेरा सवेरा सवेरा
सवेरा सवेरा सवेरा
ये जहाँ है बुज़दिल अन्धेरा
अन्धेरा है फ़िर है सवेरा
परिन्दों के खातिर जो खुद से लड़ा है
परिन्दों के गिरीबां पे आ जो पड़ा है
वो निशान कातिल है मेरा
वो गुल जो गुलिस्तां में आखिर खुला हैै
धुंदलके की मौजों का जैसे धुला है
मेरा तन - ओ - दिल - ओ - बसेरा