ह्म ह्म ह्म ह्म
दूरीए तेरी, दूर बहुत है
ह्म ह्म ह्म ह्म
मन मेरा मजबूर बहुत है
ह्म ह्म ह्म ह्म
इंतेज़ार भी हार गया है
कमी कमी तेरी, कमी बहुत है
जान ही मेरा, ले गया मेरी जान
ह्म ह्म
मैं क्या करूँ, करूँ
मैं क्या करूँ
घमे जुदाई दिल है सह रहा
अश्क़ अश्क़ मैं इश्क़ बह रहा
बन गयी हूँ मैं घम का दरिया
जान ही मेरा, ले गया मेरी जान
ह्म ह्म
मैं क्या करूँ मैं क्या करूँ
ह्म ह्म
मेरी जान