ये रात भी जा रही है
के गम की घटा छा रही है
मेरे हमदम तू नही आया
ये रात भी जा रही है
जा रही है, जा रही है
नही जिस तरफ कोई मंज़िल उसी राह पे चल रही हू
तेरी याद मे ओ सितमगर शमा की तरह जल रही हू
जल रही हू
चंदा बुझी जा रही है
मेरे हमदम तू नही आया
हा आ आ हो ओ आ आ आजा
हुई दुश्मनी आस्मा की मोहब्बत की हर दासता की
कहीं ये ना हो के तू आए चले जाए हम इस जहाँ से
इस जहाँ से
होठो पे जा रही है
मेरे हमदम तू नही आया
ये रात भी जा रही है
जा रही है, जा रही है