याद न आये कोई
लहु न रुलाये कोई
याद न आये कोई
हाय अखियों में बैठा था
अखियों से उठ के
जाने किस देश गया
अखियों में बैठा था
अखियों से उठ के
जाने किस देश गया
जोगी मेरा जोगी वे
राँझा मेरा राँझड़ा
मेरा दरवेश गया रब्बा
दूर न जाए कोई
याद न आये कोई
शाम के दिए ने
आँख भी न खोली
अंधा कर गयी रात
शाम के दिए ने
आँख भी न खोली
अंधा कर गयी रात
जला भी नहीं था
देह का बालन
कोयला कर गयी रात रब्बा
और न जलाये कोई
याद न आये कोई
सतनाम सतनाम सतनामजी
वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरुजी
सतनाम सतनाम सतनामजी
वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरुजी
सतनाम सतनाम