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Tu Hai Ya Nahin Bhagwan Video (MV)




Performed By: Lata Mangeshkar
Featuring: Mohammed Rafi
Length: 3:27
Written by: Bharat Vyas, S N tripathi




Lata Mangeshkar - Tu Hai Ya Nahin Bhagwan Lyrics
Official




[ Featuring Mohammed Rafi ]

तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन
कभी होता भरोसा
कभी होता भरम
पड़ा उलझन में है इंसान
तू है या नहीं भगवन

मत उलझन में पड़ इंसान
तेरे सोचे बिना जब होता है सब
तोह समझ ले कही है भगवन
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

तू है या नहीं भगवन

वह है अगर तोह
क्यों न दिखाई
कैसी यह उलटी रीत है
झूठा है वह उसके झूठे ही
भय से झूठा
जगत भयभीत है
घन घन गरजती हुयी
यह घटाये किस का
सुनती गीत हैं
लहराते सागर की
लहरों में गूंजे
किस का अमर संगीत है
किस का अमर संगीत है
जो दाता है सबका महान
दिया जिसने जन्म दिया जिसने
यह तन कुण न
उसको सका तू पहचान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन

बालक की ममता रोती है
क्यों अनहोनी जग में होती है

मंदिर में दीप जलाते हैं जो उनके
घर की बूझती ज्योति है क्यों
अनहोनी जग में होती है क्यों
होता नहीं क्या अचम्भा बड़ा
आकाश किसके सहारे खड़ा
आकाश किसके सहारे खड़ा
फूलों में रंग झरनो में तरंग
धरती में उमंग जो उठता
वह कौन क्या तुम
बादल में बिजली पहाडो
में फूल जो खिलता
वह कौन क्या तुम
वह है सर्वशक्तिमान
कण कण में
बेस पर न दिखाई दे
उसकी शक्ति को तू पहचान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
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तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन
कभी होता भरोसा
कभी होता भरम
पड़ा उलझन में है इंसान
तू है या नहीं भगवन

मत उलझन में पड़ इंसान
तेरे सोचे बिना जब होता है सब
तोह समझ ले कही है भगवन
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

तू है या नहीं भगवन

वह है अगर तोह
क्यों न दिखाई
कैसी यह उलटी रीत है
झूठा है वह उसके झूठे ही
भय से झूठा
जगत भयभीत है
घन घन गरजती हुयी
यह घटाये किस का
सुनती गीत हैं
लहराते सागर की
लहरों में गूंजे
किस का अमर संगीत है
किस का अमर संगीत है
जो दाता है सबका महान
दिया जिसने जन्म दिया जिसने
यह तन कुण न
उसको सका तू पहचान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन

बालक की ममता रोती है
क्यों अनहोनी जग में होती है

मंदिर में दीप जलाते हैं जो उनके
घर की बूझती ज्योति है क्यों
अनहोनी जग में होती है क्यों
होता नहीं क्या अचम्भा बड़ा
आकाश किसके सहारे खड़ा
आकाश किसके सहारे खड़ा
फूलों में रंग झरनो में तरंग
धरती में उमंग जो उठता
वह कौन क्या तुम
बादल में बिजली पहाडो
में फूल जो खिलता
वह कौन क्या तुम
वह है सर्वशक्तिमान
कण कण में
बेस पर न दिखाई दे
उसकी शक्ति को तू पहचान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Bharat Vyas, S N tripathi
Copyright: Lyrics © Royalty Network


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