सुन मेरे नन्हे सुन मेरे मुन्ने
सुनले एक कहानी
बहुत दिनों की बात है
एक था राजा एक थी रानी
राजा रानी के घर में था राजकुमार एक प्यारा
एक के दिल का टुकड़ा था वो
एक की आँख का तारा
एक दिन राजा का मन चाहा
चल कर करें शिकार
निकल पड़ा वो होकर
एक नन्हे घोड़े पे सवार
और मालूम है
वो क्या कहता जा रहा था
क्या कहता जा रहा था
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
रुकने का तो नाम न लेना
चलना तेरा काम
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
रुकने का तो नाम न लेना
चलना तेरा काम
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
चलते चलते उसके आगे आया एक पहाड़
चलते चलते उसके आगे आया एक पहाड़
राजा मन ही मन घबराया
कैसे होगा पार
इतने में एक पंछी बोला
अपने पंख उतार
पंख बने हैं ये हिमात के
ले और होजा पार
पंख लगा कर घोड़े को राजा ने एड लगायी
देने लगी हवाओं में फिर ये आवाज़ सुनाई
क्या मा
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
रुकने का तो नाम न लेना
चलना तेरा काम
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
ले कर राजा को एक बन में
आया नीला घोड़ा
ले कर राजा को एक बन में
आया नीला घोड़ा
देख के एक चंचल हिरनी को
उसके पीछे दौड़ा
लेकिन पास जो पहुंचा तो
देखो किस्मत की करनी
रूप में उस चंचल हिरनी के
निकली जादूगरनी
पलट के जादुगरनी ने
जादू का तीर जो छोड़ा
तोता बन कर रह गया राजा
पत्थर बनकर घोड़ा
फिर क्या हुआ मा
फिर क्या हुआ
फिर राजा कैसे कहता
क्या मा
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
रुकने का तो नाम न लेना
चलना तेरा काम
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक
चल मेरे घोड़े टिक टिक टिक