ओहो ओ
हं हं हं
आप यूँ फासलों से गुजरते रहे
आप यूँ फासलों से गुजरते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आहटों से अंधेरे चमकते रहे
रात आती रही रात जाती रही
आप यूँ
हो ओ हं हं हं
गुनगुनाती रहीं मेरी तनहाईयाँ
दूर बजती रहीं कितनी शहनाईयां
ज़िन्दगी ज़िन्दगी को बुलाती रही
आप यूँ फासलों से गुजरते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ
कतरा कतरा पिघलता रहा आसमां
कतरा कतरा पिघलता रहा आसमां
रूह की वादियों में ना जाने कहाँ
एक नदी एक नदी दिलरुबा गीत गाती रही
आप यूँ फासलों से गुजरते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ
आपकी गर्म बाहों में खो जायेंगे
आपकी नर्म ज़ानों पे सो जायेंगे
सो जायेंगे
मुद्दतों रात नींदे चुराती रही
आप यूँ फासलों से गुजरते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ
आप यूँ