शीशे से बनी इक लड़की
पत्थर के नगर मे आई
शीशे से बनी इक लड़की
पत्थर के नगर मे आई
वो ढूंड रही थी मोती
और पत्थर से टकराई
शीशे से बनी इक लड़की
पत्थर के नगर मे आई
शीशे से बनी ये लड़की
इस बात से है अंजानी
शीशे से बनी ये लड़की
इस बात से है अंजानी
जब रेत चमकती है तो
लगती है दूर से पानी
ये फूल है सब काग़ज़ के
लेकिन वो समझ ना पाई
शीशे से बनी इक लड़की
पत्थर के नगर मे आई
वो ढूंड रही थी मोती
और पत्थर से टकराई
शीशे से बनी लड़की से
कह दो की ना बाद मे रोना
शीशे से बनी लड़की से
कह दो की ना बाद मे रोना
कुछ लोग है जो पीतल के
कहते है वो खुद को सोना
ये झूठ का पुल टूटेगा
और गहरी है गम की खाई
ये झूठ का पुल टूटेगा
और गहरी है गम की खाई
शीशे से बनी इक लड़की
पत्थर के नगर मे आई
वो ढूंड रही थी मोती
और पत्थर से टकराई