कहता है यह सफ़र कहती है रहगुज़र
कहता है यह सफ़र कहती है रहगुज़र
जमाने भर के ग़म लिए
उम्मीद दिल में कम लिए
जमाने भर के ग़म लिए
उम्मीद दिल में कम लिए
तुम चले हो कहा
कहता है यह सफ़र कहती है रहगुज़र
जमाने भर के ग़म लिए
उम्मीद दिल में कम लिए
जमाने भर के ग़म लिए
उम्मीद दिल में कम लिए
तुम चले हो कहा
कहता है यह सफ़र कहती है रहगुज़र
आ आ आ
आ आ आ आ
देखो जहा जाओ जहा मिल जाएगी वहाँ
हर चीज़ की दुकान
सिर्फ़ कही मिलता नही ज़ज़्बात का निशां
हल्का सा भी निशां
बेगाने लोग हैं अंजाने लोग हैं
तमाम शहर में कही
मिलेगा प्यार ही नही
तमाम शहर में कही
मिलेगा प्यार ही नही
तुम चले हो कहा
कहता है यह सफ़र कहती है रहगुज़र
आ आ
आ आ आ आ आ आ
दुनिया में तुम कब से हो गूम
किस राह थे चले आकाश के तले
चलते राहे कम ना हुए मंज़िल के फ़ासले
ऐसे हैं फ़ासले
राहो की ठोकरे कहती है क्या करे
खुला कोई भी दर नही
किसी के दिल में घर नही
खुला कोई भी दर नही
किसी के दिल में घर नही
तुम चले हो कहा
कहता है यह सफ़र कहती है रहगुज़र
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ