चार दिन की ज़िंदगी है जा रहे है दिन
दो गए तेरे मिलने से पहले दो गए तेरे बिन
प्रिये कब मिलन होगा
प्रिये कब मिलन होगा
तुम कहीं खो जाओगी जान मै पाता अगर
बन के हम राही तेरा संग ही करता सफर
ये सफर पूरा नहीं होगा तम्हारे बिन
दो गए तेरे मिलने से पहले दो गए तेरे बिन
प्रिये कब मिलन होगा
प्रिये कब मिलन होगा
आ आ आ, आ आ आ, आ आ आ आ
आ आ आ, आ आ आ, आ आ आ आ
याद के टुटे महल कब तेरा मंदिर बना
दीप जलते रह गए छुप गयी मूरत कहाँ
ये दिए विश्वास के बुझ जाये न एक दिन
दो गए तेरे मिलने से पहले दो गए तेरे बिन
प्रिये कब मिलन होगा
प्रिये कब मिलन होगा