सच है ये कोई इल्ज़ाम नहीं है
अरे सच है ये कोई इल्ज़ाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
सच है ये कोई इल्ज़ाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
ये तो हर मर्द की है पहली ख़ासियत
हाँ पहली ख़ासियत, भैया पहली ख़ासियत
दूजी का है चस्का, तीजी पे है नियत
हाँ तीजी पे है नियत, तीजी पे है नियत
इसी लिए अपनी से डरता है वो
दिन-रात चापलूसी करता है वो
वरना उसे क्या कोई काम नहीं है
वरना उसे क्या कोई काम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
जोरू की गुलामी में भी आता है मज़ा
भैया आता है मज़ा, हाँ-हाँ आता है मज़ा
पूछे कोई उनसे जिन्हें है ये पता
हाँ जिन्हें है ये पता, भई जिन्हें है ये पता
जितना भी मस्का लगाते जाएंगे
उतना वो बन्दे सुख पाते जाएँगे
मसके का यारों कोई दाम नहीं है
मसके का यारों कोई दाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
अपनी तो दाल है पराई मुर्गी
हाँ पराई मुर्गी, भई पराई मुर्गी
दाना फिर डाल के फसाई मुर्गी
हाँ फसाई मुर्गी, भई फसाई मुर्गी
कुड़ कुड़ कुड़की आवाज़ जब आई
तो होने लगी घर में मियाँ की पिटाई
कहीं लंबू की पिटाई, कहीं छोटू की पिटाई
कहीं दुबले की पिटाई, कहीं मोटू की पिटाई
कहीं टकलू की पिटाई, कहीं हकलू की पिटाई हाँ
अरे ऐसा पिटना भी तो हराम नहीं है
ऐसा पिटना भी तो हराम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है
सच है ये कोई इल्ज़ाम नहीं है
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है बोलो
कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है (एक बार फिर)
अरे कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है (फिर फिर)
अरे कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है (हा हा)
अरे कौन है जो जोरू का गुलाम नहीं है