हम्म फौजी गया जब गाँव में
फौजी गया जब गाँव में
फौजी गया जब गाँव में
फौजी गया जब गाँव में
पहन के रंगरूट फूल बूट पाँव में
फौजी गया जब गाँव में
फौजी गया जब गाँव में
पहले लोगों ने रखा था मेरा नाम निखट्टु
होय दो दिन में जग ऐसे घुमा
जैसे घुमा लट्टू हो लट्टू
भरती हो के करनेला
करनैल सिंह बन बैठा
मेरा बापू साथ मेरे
जरनैल सिंह बन बैठा
आते देखा मुझको तो सब
करने लगे सलामी
आगे पीछे दौड़े चाचा
चाची मामा मामी हा
यारों ने सामान उठा कर
रखा अपने सर पे
दरवाजे पर बैठे थे सब
जब मैं पहुंचा घर पे
कस कर पुरे जोर से फिर मैंने
Salute जो मारा सबकी
छुट्टी हो गयी फिर मैंने बूट से बूट जो मारा
फौजी गया जब गाँव में
फौजी गया जब गाँव में
घर के अंदर जा कर फिर जब
मैंने खोला बक्सा
हाय देख रहे थे सब यूँ जैसे
देखें जंग का नक्सा हो नक्सा
सबको था मालुम खुलेगी
शाम को rum की बोतल
सब आ बैठे घर मेरे
घर मेरा बन गया hotel
बिच में बैठा था मैं सब
बैठे थे आजू बाजू
इतने में बन्दुक चली भाई
गाँव में आये डाकू हा
उतर गयी थी सबकी छुप गए
सारे डर के मारे
मैं घर से बाहर निकला
सब मेरा नाम पुकारें
मार के लाठी ज़मीं पे झट से
डाकुओं को ललकारा
वो थे चार अकेला मैं
मैंने चारों को मारा
फौजी गया जब गाँव में
फौजी गया जब गाँव में