[ Featuring Jay Kava, R. D. Burman ]
सुनीता सुनीता सुनीता
ऐसा कभी हुआ नहीं जो भी हुआ खूब हुआ
ऐसा कभी हुआ नहीं जो भी हुआ खूब हुआ
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो दिल मेरा दिल न रहा
ऐसा कभी हुआ नहीं जो भी हुआ खूब हुआ
रेशमी ज़ुल्फ़ें हैं सावन की घटाओं जैसी
पल्कें हैं तेरी घने पेड़ की छाँव जैसी
भोलापन और हँसी आफ़्रीन आफ़्रीन हम्म
ऐसा कभी हुआ नहीं जो भी हुआ खूब हुआ
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो दिल मेरा दिल न रहा
ऐसा कभी हुआ नहीं जो भी हुआ खूब हुआ