सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं
मेरे दिल कि... अरमां ये
हक़ीक़त में... आने लगे हैं
सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं
प्यार की.. यें, बारिश में
मेरा दिल.. तुझे, चाहें रे
तू ने जो.. आवाज़, लगाया
मैं चली.. तुझे, मिलने रे
जानें ज़ाना.. तू मिले
मेरे ख़्वाब.. खों गये
हर ख़ुशी के.. सिलसिलें
आज मुझें.. मिल गये
सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं
तेरे हैं.. यें प्यार, का ज़ादू
यूँ मुझें.. पागल, न बनाये
ऐसे ही... होता हैं, साज़न
प्यार के... ये फूल जो, खिल गये
अपने इश्क़.. की क़सम
होंगे ना.. जुदा हम
हर सितम.. सहेंगे हम
चाहे कुछ भी.. हो सनम
सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं
मेरे दिल कि... अरमां ये
हक़ीक़त में... आने लगे है
सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं