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Khan Bros - Allahu Akbar Lyrics

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Khan Bros - Allahu Akbar Lyrics
Official




नहीं कोई माबूद तेरे सिवा
ला इलाहा इल्लल्लाह

जो भी आता है दिल में
मैं उससे कहने लगता हूँ
और वो भी ये जानता है
मेरा उसके सिवा कौन है

सिफारिशों की ज़रूरत नहीं
उसकी बारगाह में
माँगता क्यों नहीं उससे दुआ
तू क्यों तड़प कर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

अपना कोई दोस्त नही
अपना कोई यार नही

अपना कोई दोस्त नही
अपना कोई यार नही
तू जो हाथ थाम ले तो
मुश्किलें हो प्यार यूँ ही

तुझसे ही उम्मीदें जुड़ी
तेरे आगे झुकता है सर
तू ही मेरा अल-वली
तू ही साँवरे मुक़द्दर

अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

तेरे क़रीब तुझसे ज़्यादा
वो हर लम्हा रहता है

तेरे क़रीब तुझसे ज़्यादा
वो हर लम्हा रहता है
तू बाद में है सोचता वो पहले
जान जाता है

तू एक कदम चले और
वो दौड़कर आता है
वो तुझको कितना चाहता
है तुझे भी नहीं खबर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

तेरे बन्दे हैं करदे करम हमपे
तू देने वाला तुझसे ही माँगूँ मैं
छाये जो हमपे ग़म के अँधेरे
बस तू है उजाला जो लाए सवेरे

तू रब्ब-ए-काबा तुझपे ही ईमान है
तूने दी जान है जो तुझपे कुर्बान है
तू ही रोज़-ए-जज़ा का है मालिक
तू ही रेहमत का समंदर

अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर
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Romanized

नहीं कोई माबूद तेरे सिवा
ला इलाहा इल्लल्लाह

जो भी आता है दिल में
मैं उससे कहने लगता हूँ
और वो भी ये जानता है
मेरा उसके सिवा कौन है

सिफारिशों की ज़रूरत नहीं
उसकी बारगाह में
माँगता क्यों नहीं उससे दुआ
तू क्यों तड़प कर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

अपना कोई दोस्त नही
अपना कोई यार नही

अपना कोई दोस्त नही
अपना कोई यार नही
तू जो हाथ थाम ले तो
मुश्किलें हो प्यार यूँ ही

तुझसे ही उम्मीदें जुड़ी
तेरे आगे झुकता है सर
तू ही मेरा अल-वली
तू ही साँवरे मुक़द्दर

अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

तेरे क़रीब तुझसे ज़्यादा
वो हर लम्हा रहता है

तेरे क़रीब तुझसे ज़्यादा
वो हर लम्हा रहता है
तू बाद में है सोचता वो पहले
जान जाता है

तू एक कदम चले और
वो दौड़कर आता है
वो तुझको कितना चाहता
है तुझे भी नहीं खबर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

तेरे बन्दे हैं करदे करम हमपे
तू देने वाला तुझसे ही माँगूँ मैं
छाये जो हमपे ग़म के अँधेरे
बस तू है उजाला जो लाए सवेरे

तू रब्ब-ए-काबा तुझपे ही ईमान है
तूने दी जान है जो तुझपे कुर्बान है
तू ही रोज़-ए-जज़ा का है मालिक
तू ही रेहमत का समंदर

अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर

अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर
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Writer: Shez Khan
Copyright: Lyrics © Warner Music India Private Limited
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(Show video at the top of the page)


Performed By: Khan Bros
Language: Hindi
Length: 5:45
Written by: Shez Khan

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