बद्रा छाए नील गगन पे
सावन की ऋतु आई
बद्रा छाए नील गगन पे
सावन की ऋतु आई
बिरहन के मन आग लगाई
बिरहन के मन आग लगाई
धरती की प्यास बुझाई
बद्रा छाए नील गगन पे
सावन की ऋतु आई
नाचे मोर पपिहा गाए
रूठे पिया की याद लाए
नाचे मोर पपिहा गाए
रूठे पिया की याद लाए
पास नही हरजाई प्रीतम
पास नही हरजाई प्रीतम
तन को च्छुए पुर्वाई
बद्रा छाए नील गगन पे
सावन की ऋतु आई
आया सावन आए ना साजन
छत पे खड़ी खड़ी भीगे बिरहन
आया सावन आए ना साजन
छत पे खड़ी खड़ी भीगे बिरहन
राहे तक तक थक गई अंखिया
राहे तक तक थक गई अंखिया
यूँहीं उमर बिताई
बद्रा छाए नील गगन पे
सावन की ऋतु आई
बिजली के डर से लिपटी पिया से
पेहली याद ना जाए जिया से
बिजली के डर से लिपटी पिया से
पेहली याद ना जाए जिया से
तन्हा मन को और डराए
तन्हा मान को और डराए
यादों की शेहनई
बद्रा छाए नील गगन पे
सावन की ऋतु आई
बिरहन के मन आग लगाई
बिरहन के मन आग लगाई
धरती की प्यास बुझाई
बद्रा छाए नील गगन पे
सावन की ऋतु आई