येतिल कधी यदुवीर सखये
येतिल कधी यदुवीर सखये
मानस होत अधीर
सखये येतिल कधी यदुवीर
सखये कटु वदले मी, रुसवा केला
आ आ आ आ आ
म्हणुनि जिवाचा जिवलग गेला
सोडूनि हे मंदिर
सखये येतिल कधी यदुवीर
सखये येतिल कधी यदुवीर
आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ
येतिल कधी यदुवीर सखये
विरहाचा वैशाख तापला
विरहाचा आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
विरहाचा आ आ आ
विरहाचा आ आ आ
विरहाचा वैशाख तापला
शांत सुशीतल चंद्र न आला
शांत सुशीतल चंद्र न आला
कोठे धीर समीर सखये
कोठे धीर समीर सखये
येतिल कधी यदुवीर सखये
येतिल कधी यदुवीर सखये
येतिल कधी यदुवीर