समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरियाँ हमने
समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरियाँ हमने
चराग़ों को जलाने में जला ली उंगलियाँ हमने
समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरियाँ हमने
कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती
कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती
सजाये उम्र भर कागज़ के फूल और पत्तियाँ हमने
चराग़ों को जलाने में जला ली उंगलियाँ हमने
समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरियाँ हमने
यूँ ही घुट घुट के मर जाना हमें मंज़ूर था लेकिन
यूँ ही घुट घुट के मर जाना हमें मंज़ूर था लेकिन
किसी कमज़र्फ़ पर ज़ाहिर ना की मजबूरियाँ हमने
चराग़ों को जलाने में जला ली उंगलियाँ हमने
समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरियाँ हमने
हम उस महफ़िल में बस इक बार सच बोले थे ऐ वाली
हम उस महफ़िल में बस इक बार सच बोले थे ऐ वाली
ज़बाँ पर उम्र भर महसूस की चिंगारियाँ हमने
चराग़ों को जलाने में जला ली उंगलियाँ हमने
समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरियाँ हमने