मौसम को इशारों से बुला क्यो नहीं लेते
मौसम को इशारों से बुला क्यो नहीं लेते
रूठा हैं अगर वो तो मना क्यों नहीं लेते
मौसम को इशारों से बुला क्यो नहीं लेते
दीवाना तुम्हारा कोई गैर नहीं
दीवाना तुम्हारा कोई गैर नहीं
मचला भी तो सीने से लगा क्यों नहीं लेते
रुठा हैं अगर वो तो मना क्यों नहीं लेते
मौसम को इशारों से बुला क्यो नहीं लेते
खत लिखकर कभी और कभी खत को जलाकर
खत लिखकर कभी और कभी खत को जलाकर
तन्हाई को रंगीन बना क्यों नहीं लेते
तुम जाग रहे हो मुझे अच्छा नहीं लगता
तुम जाग रहे हो मुझे अच्छा नहीं लगता
चुपके से मेरी नींद चुरा क् यों नहीं लेते
रुठा हैं अगर वो तो मना क्यों नहीं लेते
मौसम को इशारों से बुला क्यो नहीं लेते