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Jagjit Singh - Ab Aksar Chup Chup Se Rahe Hain Lyrics



Jagjit Singh - Ab Aksar Chup Chup Se Rahe Hain Lyrics
Official




अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं यूँ ही कभू लब खोलें हैं
अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं यूँ ही कभू लब खोलें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं

दिन में हम को देखने वालों अपने अपने हैं औक़ात
दिन में हम को देखने वालों अपने अपने हैं औक़ात
जाओ न तुम इन ख़ुश्क आँखों पर हम रातों को रो लें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं

ग़म का फ़साना सुनने वालों आख़िर-ए-शब आराम करो
ग़म का फ़साना सुनने वालों आख़िर-ए-शब आराम करो
कल ये कहानी फिर छेड़ेंगे हम भी ज़रा अब सो लें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं
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अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं यूँ ही कभू लब खोलें हैं
अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं यूँ ही कभू लब खोलें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं

दिन में हम को देखने वालों अपने अपने हैं औक़ात
दिन में हम को देखने वालों अपने अपने हैं औक़ात
जाओ न तुम इन ख़ुश्क आँखों पर हम रातों को रो लें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं

ग़म का फ़साना सुनने वालों आख़िर-ए-शब आराम करो
ग़म का फ़साना सुनने वालों आख़िर-ए-शब आराम करो
कल ये कहानी फिर छेड़ेंगे हम भी ज़रा अब सो लें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं
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Writer: Firaq Gorakhpuri, Jagjit Singh
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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