मै चला अकेले
रास् तों पे ऐसे जैसे
मेरे पीछे कोई भी ना
बढ़ता मै गया ऐसे जैसे
मुझे कोई भी ना रोक सका
वो ढूढ़ रहे देखो मंजिल,
मैने माना रास् तों को अपना जहां,
कभी कोई नोच-खरोच के भागे,
कभी कोई पूछे क् या तेरा पता
मेरा जो सफर है
वही मेरा घर है
मुझको ना दुनिया की है परवाह
मै हूं वो मुसफिर
चलता रहे जो
चाहे रोके-तोके मुझे कोई भी यहां
मेरे जो है सपने
वही मेरे अपने
मुझको ना दुनिया की है परवाह
मै हूं वो मुसफिर
चलता रहे जो
चाहे रोके-तोके मुझे कोई भी यहां
लोगो ने बोला इन रास् तों पे जाना नहीं
ख् वाबों के पीछे जा के कुछ भी है पाना नही
देखो जमाना, मै पुराना हूं मुसाफिर
जिंदगी ऐसे कैसे कल का ठिकाना नहीं
पाया है जबसे खुद को
पानी सा मै बहना चाहूं
डरता ना लहरों से मै
बादलों में रहना चाहूं
छू लू मै आसमान
सितारो से ये कहना चाहूं....
मेरा जो सफर है
वही मेरा घर है
मुझको ना दुनिया की है परवाह
मै हूं वो मुसफिर
चलता रहे जो
चाहे रोके-तोके मुझे कोई भी यहां
मेरे जो है सपने
वही मेरे अपने
मुझको ना दुनिया की है परवाह
मै हूं वो
मै हूं वो मुसफिर
चलता रहे जो
चाहे रोके-तोके
मुझे कोई भी यहां
यूं तो मेरी भी सुबह
होती थी किसी खास के साथ
यूं तो मेरे भी हाथ में
होता था किसी का हाथ
तूफानो सा एक आया था
टूटा मै घबराया था
अपनों को छीना ऐसे
मै कुछ ना कर पाया था
दिल की जुबां, दिल की जुबां
कह ना सका, कह ना सका
आती अभी ख् वाबो में भी
मेरी वफा
मेरा जो सफर है
वही मेरा घर है
मुझको ना दुनिया की है परवाह
मै हूं वो मुसफिर
चलता रहे जो
चाहे रोके-तोके मुझे कोई भी यहां
मेरे जो है सपने
वही मेरे अपने
मुझको ना
दुनिया की है परवाह
मै हूं वो मुसफिर
चलता रहे जो
चाहे रोके-तोके
मुझे कोई भी यहां