मेरी जवानी मुझको सताए
तन की अग्नि मन को जलाए
हाय रे हाय रे हाय रे हाय रे
हाय मेरी जवानी मुझको सताए
तन की अग्नि मन को जलाए
हाय रे हाय रे हाय रे हाय रे
हाय मेरी जवानी मुझको सताए
कब की अकेली जिए जा रही हु
जवानी तेरे ही बिना
रातों की तन्हाई की आग में
सुलगती रही हु मैं सदा हेय
क्या मे कहु केसे कहु किससे काहु
हाँ मेरी जवानी मुझको सताए
तन की अग्नि मन को जलाए
हाय रे हाय रे हाय रे हाय रे
हाय रे मेरी जवानी मुझको सताए
जलती शमा हू मेरी आग मे
कोई भी ना पतंगा जले
मन की कली आज जल जाएगी
तन के सूरज के साए तले
रात ढले पिया जले जिया जले
हाँ आ आ आ
मेरी जवानी मुझको सताए
तन की अग्नि मन को जलाए
हाय रे हाय रे हाय रे हाय रे
हाय मेरी जवानी मुझको सताए
करती जवा हसरतों का कतल
क्यूँ गुन्हेगार बनती रहु
बिजली हुँ कब तक मैं
शर्मो हया के बदलियो में छुपती रहु
हेय
जग से डरू कैसे डरू क्यों मैं डरू
हाँ मेरी जवानी मुझको सताए
तन की आग मन को जलाये
हाय रे हाय रे हाय रे हाय रे
हाय रे मेरी जवानी मुझको सताए