[ Featuring Shailendra Singh, Raahi ]
कई दिन से मुझे कोई सपनो में
आवाज़ देता था हर पल बुलाता था
अच्छा तोह वोह तुम हो तुम हो तुम हो
अक्सर मेरा मन केहता था
छुपकर कोई आता है
हलचल मचाता है
अच्छा तोह वोह तुम हो तुम हो तुम हो
आती जाती लेहरों की तरह
साहिल पे आके लौट ना तू जाना
तूम भी कही गैरों की तरह
जी देखो देखो ऑंखें ना चुराना
इस पल से आखरी पल तक(इस पल से आखरी पल तक)
संग संग अब रेहना है(संग संग अब रेहना है)
कई दिन से मुझे कोई सपनो में
आवाज़ देता था हर पल बुलाता था
अच्छा तोह वोह तुम हो तुम हो तुम हो