ए ज़िंदगी मेरे तू दे सवार दे
तेरा तलब गार हूँ मुझे तू प्यार दे
छुप के कभी तू मेरे घर आ
मिल के हसीन मेरे होठो पे ला
खुद को जगा और मुझ में सुला
अपनी पनाहो से फिर ना उठा
यह बात ही मेरा सुकून की हैं सुबह
तेरा खुमार ही मुझे तो हर सुबह
आ आ आ आ
मेरी पनाहो में आके समा
यह वास्ता तू रखना सदा
ऐसे मिला के दोनो जहाँ
दिल के अंधेरो को रोशन बना
यह साथ ही तेरा खुशी की है वजाह
तू ही तू ही दिखे
मुझे तू हर जगाह हा
ए ज़िंदगी मेरे
तू दे सवार दे
तेरा तलबगार हूँ
मुझे तू प्यार दे