सोच, कितना मज़ा आएगा
जब हम तुम, पहाड़ो के शहर में रहेंगे
और तेरे मेरे दिन भी कुछ घंटो मे गुज़रेंगे
सोच, कितना मज़ा आएगा
जब हम तुम बस एक ही सड़क पे चलेंगे
हाथों में हाथ लिए, बस बातें करेंगे
बातें, कुछ अंजानी सी, कुछ नकली सी, कुछ दीवानी सी
ऊऊ हम पे ये समा भी मुस्कुराएगा
सोच, कितना मज़ा आएगा
हा हा हा हा हा हा
हा, हा हा
मज़ा आएगा
हा हा हा हा हा हा
हा, हा हा
एक आम का पौधा, जो बचपन में बोया था
एक राजा का बेटा, जो जंगल में खोया था
एक आम का पौधा, जो बचपन में बोया था
एक राजा का बेटा, जो जंगल में खोया था
ऊ तेरी ये सब बातें, मुझे अच्छी लगती है
ओ जब तू छोटी सी, और प्यारी सी,पाँच साल की, एक बच्ची लगती है
हो कोई पुराना किस्सा तेरे चेहरे पे, हँसी लाएगा
सोच कितना मज़ा आएगा
हा हा हा हा हा हा, हा, हा हा
मज़ा आएगा
हा हा हा हा हा हा, हा, हा हा
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ हा हा हा हा ओ ओ ओ हा हा हा हा ओ ओ ओ हा हा हा हा