आगे बढ़ो
अभी तो बहोत ग़लतियाँ करनी बाक़ी हैं
क्यूँ जीते हैं हम उन पल को फिर से
जो पल हम ही को जीने ना दे
ऐसे ख़यालों में उलझे सवालों में
निकले हैं ढूँदने क्या क्या पता
जो कहा वो तो कह गये
जो किया वो तो कर गये
अब कहाँ बदलेगा कुछ यहाँ
तुम रहो इस पल में या वहाँ
जो होना था हो गया जो होना था हो गया
आगे बढ़ो
अभी तो बहोत ग़लतियाँ करनी बाक़ी हैं
कैसे निकाले ये मकड़ी के जाले
जो की ज़हेन में हैं बस गये
ऐसे ख़यालों में उलझे सवालों में
ना जाने क्यूँ हम हैं फस गये
जो कहा वो तो कह गये
जो किया वो तो कर गये
अब कहाँ बदलेगा
कुछ यहाँ
तुम रहो
इस पल में या वहाँ
जो होना था हो गया
जो होना था हो गया
आगे बढ़ो
अभी तो बहोत ग़लतियाँ करनी बाक़ी हैं